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नवजात शिशुओं को लंबे समय तक एंटीबायोटिक देने की जरूरत नहीं; PGI चंडीगढ़ और विशेषज्ञों की स्टडी में सामने आई रिपोर्ट, पढ़ें

Chandigarh PGI Study on Newborn Babies For Gives To Antibiotics

Chandigarh PGI Study on Newborn Babies For Gives To Antibiotics

Chandigarh PGI Study: पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के प्रोफेसर डॉ. सौरभ दत्ता और भारत के अन्य प्रमुख नवजात विशेषज्ञों की एक अहम अंतरराष्ट्रीय स्टडी में यह साबित हुआ है कि गंभीर नवजात संक्रमणों (न्यूबोर्न इनफेक्शंस) में लंबे समय तक एंटीबायोटिक देने की जरूरत नहीं होती। यह शोध दुनिया की प्रसिद्ध मेडिकल जर्नल लैंसेट क्लीनिकल मेडिसन में प्रकाशित हुआ है। इस शोध के मुताबिक, अधिकतर मामलों में 10 से 14 दिन की बजाय केवल 7 दिन का एंटीबायोटिक कोर्स ही काफी होता है। इससे नवजातों को अनावश्यक दवाओं से बचाया जा सकता है। साथ ही एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस (दवाओं के असर कम होने की समस्या) को भी रोका जा सकता है।

इस स्टडी का नेतृत्व डॉ. सौरभ दत्ता (पीजीआईएमआर, चंडीगढ़) ने किया, और उनके साथ देशभर के 7 अन्य वरिष्ठ नवजात रोग विशेषज्ञ शामिल रहे। इनमें डॉ. नंदकिशोर काबरा (सूर्या हॉस्पिटल, मुंबई), डॉ. शिव सज्जन सैनी (पीजीआईएमआर, चंडीगढ़), डॉ. राजेन्द्र प्रसाद अण्णे (कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, मणिपाल), डॉ. संदीप कदम (केईएम हॉस्पिटल, पुणे),डॉ. मोनिषा रमेशबाबू (चेत्तीनाड एकेडमी, चेन्नई), डॉ. सुप्रीत खुराना (जीएमसीएच, चंडीगढ़),डॉ. साई किरण (फर्नांडीज हॉस्पिटल, हैदराबाद) शामिल हैं।

डॉक्टरों और अस्पतालों से अपील है कि वे इस नई जानकारी को अपनाएं और अनावश्यक लंबे एंटीबायोटिक कोर्स से बचें। वहीं, शोधकर्ता इस बात पर ज़ोर दे रहे हैं कि जिन क्षेत्रों में डेटा की कमी है, वहां जल्द रिसर्च की जाए।

क्या किया गया इस रिसर्च में?

शोधकर्ताओं ने दुनियाभर में पहले से की गई कई स्टडीज़ को एक साथ मिलाकर विश्लेषण (मेटा एनेलेसिस)किया। उन्होंने देखा कि छोटे कोर्स (कम दिन) और लंबे कोर्स (ज्यादा दिन) के बीच इलाज के नतीजों में कोई बड़ा फर्क नहीं है। उन्होंने कुछ खास ब्लड टेस्ट्स (जिन्हें बायोमार्कर कहा जाता है) पर भी ध्यान दिया। जब ये टेस्ट नार्मल हो जाते हैं, तब एंटीबायोटिक बंद करना सुरक्षित पाया गया।

ये रहे मुख्य निष्कर्ष

  1. खून के संक्रमण (सेप्सिस) में ज़्यादातर मामलों में सिर्फ 7 दिन का कोर्स पर्याप्त है
  2. ब्लड टेस्ट्स के नार्मल होने पर इलाज रोकना भी सुरक्षित और कारगर साबित हुआ
  3. संदिग्ध संक्रमणों में (जहां पुष्टि नहीं हो पाई) 3-4 दिन बनाम 5-7 दिन की तुलना में नतीजे स्पष्ट नहीं मिले। इस पर और रिसर्च की ज़रूरत है
  4. मेनिनजाइटिस, पेशाब के संक्रमण और फंगल इन्फेक्शन में अब तक पर्याप्त डेटा नहीं है। इन्हें भविष्य की रिसर्च में प्राथमिकता दी जानी चाहिए

इस स्टडी का क्या है महत्व

  1. नवजातों को अनावश्यक दवाओं से बचाया जा सकता है
  2. एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस को रोकने में मदद मिल सकती है
  3. अस्पताल में रहने की अवधि और खर्च कम हो सकता है
  4. भारत जैसे उच्च जनसंख्या और संसाधन-संकट वाले देश में बेहतर संसाधन प्रबंधन संभव होगा

रिपोर्ट- साजन शर्मा